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मेरठ।
स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय के संस्कृति विभाग में उन्मुक्त भारत एनजीओ द्वारा भारत को जातिविहीन बनाने के उद्देश्य से विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित बौद्ध विद्वान डा. चन्द्रकीर्ति भंते ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में जाति बहुत बड़ी बाधा है जो समाज को संगठित होने से रोकती है। उन्होंने कहा कि तथागत गौतम बुद्ध ने मानवता के उत्थान हेतु पंचशील का सिद्धांत दिया था जिसके तहत संसार के प्रत्येक मानव एक दूसरे के प्रति प्रेम, करूणा मैत्री एवं एकता के भाव से जीवन व्यतीत करके विश्व को एक परिवार के रूप में संगठित करें। उन्होंने कहा कि हमारे समाज में फैली बुराईयों को उन्मुक्त बनाकर ही दूर किया जा सकता है जिसके लिये जाति धर्म की भावना से ऊपर उठकर राष्ट्रीयता की भावना को बल देना होगा।
सुभारती विश्वविद्यालय के समाज विज्ञानी प्रोफेसर डा. सरताज अहमद ने कहा कि वर्तमान समय में जिस प्रकार समाज की दशा बिगड़ रही है उस पर नियंत्रण करना अति आवश्यक है ताकि समाज में स्थिरता आ सकें। उन्होंने कहा कि जाति के कारण मनुष्य से भेदभाव किया जाता है जो कि मानवीय मूल्यों का हनन है और इसी कारण समाज में कुरीतियां जन्म लेती है तथा अपराध बढ़ते है। उन्होंने कहा कि उन्मुक्त भारत एनजीओ द्वारा जिस प्रकार समाज को जागरूक करने एवं देश को हर स्तर से विकसित बनाने का प्रयास किया जा रहा है वह बहुत सराहनीय है। उन्होंने कहा कि उन्मुक्त भारत द्वारा भ्रष्टाचार, जनसंख्या वृद्धि, पर्यावरण, बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ आदि के सुधार हेतु कार्य किये जाएंगे एवं विशेष रूप से देश की उन्नती के कार्य किये जाएंगे।
सुभारती विश्वविद्यालय के डिप्टी रजिस्ट्रार व उन्मुक्त भारत के वरिष्ठ कार्यकर्ता डा. नीरज ढाका ने कहा कि उन्मुक्त भारत देश की जनता में समाजिक उत्थान हेतु कार्य कर रही है एवं भविष्य में बड़े स्तर पर विचार गोष्ठी, सम्मेलन एवं जागरूकता शिविर का आयोजन करके समाज के हर वर्ग को मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उन्मुक्त भारत द्वारा राजनैतिक अपरिपवक्ता एवं सामाजिक अस्थिरता को साध कर भारत की जनता को जागरूक बनाने के लिए राष्ट्रीय साधक योजना (रासयो) आरम्भ की जा रही है। इस योजना के अन्तर्गत आम जनता को देश के सही इतिहास से अवगत कराया जाएगा एवं दिन प्रतिदिन उठ रहे ज्वलंत विषयों पर भी जागरूक किया जाएगा साथ ही जातिविहीन समाज के निर्माण का संकल्प दिलाया जाएंगा।
सुभारती विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी अनम शेरवानी ने बताया कि पिछले अनेक वर्षों से उन्मुक्त भारत संस्था समाज को जातिविहीन बनाने हेतु प्रतिबद्ध है और उन्मुक्त भारत के संस्थापक डा. अतुल कृष्ण बौद्ध ऐसे व्यक्ति है जिन्होंने अपने नाम से जाति सूचक शब्द हटाकर समाज को जातिविहीन बनाने का उत्कर्ष कार्य किया है। उन्हीं के आदर्शें से समाज के हर वर्ग को समानता की भावना से एकता के सूत्र में पिरो कर देश को सशक्त बनाने के कार्य किये जा रहे है। उन्होंने कहा कि धार्मिक एकता हमारे देश की नीव है और इसको सौहार्द के साथ प्रोत्साहन देकर राष्ट्र हित के कार्य किये जाएंगे। उन्होंने बताया कि समाज के जो व्यक्ति या छात्र राष्ट्र निर्माण योजना में योगदान देने इच्छुक हां, वें सभी अपना पंजीकरण उन्मुक्त भारत में करवा सकतें है।
बौद्ध विचारक राजकुमार सागर ने कहा कि तथागत गौतम बुद्ध ने संसार को समानता का संदेश देकर मानवता को विकास का मार्ग दिखाया और इसी क्रम में बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर ने संविधान के रूप में देश की जनता को मौलिक अधिकारों से अवगत कराने हेतु संविधान की रचना की जो हमारे लिये आदर्श है। उन्होंने कहा कि उन्मुक्त भारत एवं सुभारती विश्वविद्यालय के संस्थापक डा.अतुल कृष्ण बौद्ध ने तथागत गौतम बुद्ध एवं बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर के विचारों को देशहित में एकत्र करते हुए समाज को जातिविहीन बनाने व विकसित राष्ट्र निमार्ण का संकल्प लिया है जिससे समाज के प्रत्येक व्यक्ति को उन्मुक्त बनाकर भारत का नाम विश्व पटल पर रोशन होगा।