होली पर विशेष : होली पर 50 साल से अनूठी परंपरा निभा रहे अग्रवाल मंडी टटीरी की भरभानिया पट्टी के लोग

 


इनसे सीखें...

होली पर 50 साल से अनूठी परंपरा निभा रहे अग्रवाल मंडी टटीरी की भरभानिया पट्टी के लोग, ढोल-नगाड़े बजाकर देते हैं आपसी प्यार और सुख - शांति का संदेश

: शुरुआत में पंडित बालू व नानक चंद ने शुरू की थी परंपरा, अब युवा पीढ़ी परंपरा का कर रही निर्वहन





ताहिर अहमद। अग्रवाल मंडी टटीरी(बागपत)


वैसे तो होली पर्व पर हर जगह की अलग अलग परंपराएं होती हैं। पर्व को सभी खुशी के साथ न सिर्फ मनाते हैं बल्कि एक दूसरे को गुलाल लगाकर खुशियां भी बांटी जाती है। हम आपको बागपत जिले से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित देशभर में गुड़मंडी के लिए जाने जाने वाले कस्बा अग्रवाल मंडी टटीरी की भरभानिया पट्टी में होली पर 50 साल से निभाई जा रही अनूठी परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं। यहां पर पिछले 50 साल से पट्टी के लोग ढोल नगाड़ा बजाकर लोगों को आपसी प्यार, सौहार्द और भाईचारे, सुख शांति का संदेश देते हैं। कई घंटे तक ढोल बजाकर यहां के लोग होली के पर्व की खुशी मनाते हैं। 50 साल से चली आ रही परंपरा को आगे बढ़ाते हुए सोमवार की रात भरभानिया पट्टी के सामाजिक कार्यकर्ता विक्की पंडित पुत्र विजयपाल शर्मा, आशीष राजपूत पुत्र पूर्ण सिंह के नेतृत्व में लोगों ने सुख शांति व भाईचारे का संदेश देने के लिए ढोल बजाकर होली की खुशी का इजहार किया। लोगों से भी अपील की गई कि वह होली पर झगड़ा करने के बजाय आपसी प्यार और सौहार्द के साथ त्यौहार को मनाएं। साथ ही, जो लोग त्यौहार मनाने के लिए आर्थिक रूप से संपन्न नहीं हैं उन्हें भी मदद कर जश्न में शामिल करें, ताकि कोई भी होली का पर्व मनाने से पीछे नहीं रहे। कस्बे के लोग भी इस चली आ रही अनूठी परंपरा की खूब सराहना करते हैं। साथ ही , खुद भी शामिल होकर होली का जश्न मनाया जाता है।

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जानिए...50 साल पूर्व किसने शुरू की थी अनूठी परंपरा...

सामाजिक कार्यकर्ता विक्की पंडित, आशीष राजपूत ने बताया कि शुरुआत में इस परंपरा को पंडित बालू, नानक चंद राजपूत ने शुरू किया था। इसके बाद पूर्ण सिंह, पंडित विजय पाल शर्मा ने इसे आगे बढ़ाया। अन्य लोगों ने भी परंपरा को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। अभी भी परंपरा को खासकर युवा वर्ग आगे बढ़ा रहा है।


सभी धर्मों में मिठाई का किया जाता है वितरण

आपसी प्यार और सौहार्द स्थापित करने के लिए ढोल बजाने की परंपरा के बाद पट्टी में हिंदू मुस्लिम दोनों संप्रदाय के लोगों को मिठाई का भी वितरण किया जाता है। उनसे आपसी प्यार के साथ रहने की अपील की जाती है। दूसरों की मदद की भी अपील की जाती है।

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