हिसार ।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा सब मिशन ऑन एग्रीकल्चर मैकेलाइनजेशन (स्मैम) स्कीम के तहत कृषि क्षेत्र में ड्रोन तकनीक को बढ़ावा देने के लिए ड्रोन के प्रदर्शन एवं खरीद के लिए केवीके/आईसीएआर संस्थान तथा एफएमटीटीआईएस द्वारा 100 प्रतिशत वित्तीय सहायता दी जाएगी। किसान उत्पादन संगठन (एफपीओएस) को भी 75 प्रतिशत पर वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया है।
उपायुक्त डॉ प्रियंका सोनी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि ड्रोन तकनीक के लिए विस्तृत गाइडलाइन जारी की गई हैं। कुछ माह पहले भारत सरकार द्वारा भी इस संबंध में मानक संचालन प्रक्रिया जारी की गई थी।
योजना के तहत जिले में ड्रोन खरीदने के इच्छुक किसान उत्पादन संगठन अपना प्रस्ताव एवं ड्रोन के अंतर्गत कवर किये गए ड्रोन क्षेत्रफल आदि का विवरण कृषि तथा किसान कल्याण विभाग को दे सकते हैं। इसके अलावा यदि कोई एजेंसी ड्रोन खरीदना नहीं चाहती तो निमार्ताओं से प्रदर्शन हेतू ड्रोन को किराए पर भी लिया जा सकता है। इस पर विभाग किसानों के खेतों में प्रदर्शन हेतु ड्रोन/ड्रोन पायलट के लिए 100 प्रतिशत वित्तीय सहायता के रूप में 6 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर (2 हजार 400 रुपये प्रति एकड़) किराए के लिए प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। खरीद एजेंसी को 3 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर (1200 रुपये प्रति एकड़) के हिसाब से वित्तीय सहायता दी जाएगी। यह प्रावधान 31 मार्च 2023 तक लागू रहेगा। एक ड्रोन की अधिकतम कीमत 10 लाख रुपये रखी गई है, जिस पर अधिकतम 4 व 5 लाख रुपये का अनुदान दिया जाएगा। सीएचसी/हाई-टीच हब/सहकारी समिति/एफपीओएस को 40 प्रतिशत का अधिकतम 4 लाख तथा कृषि स्नातक को सीएचसी/हाई-टीच हब/सहकारी समिति के लिए 50 प्रतिशत या 5 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी। इसके लिए सभी एजेंसियों द्वारा विमानन मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य होगा।