हिसार का एक सामाजिक कार्यकर्ता ऐसा , जाे पिछले 12 साल से तिरंगा हाथ में लेकर पेड़ाें काे कटने से बचाने से लेकर लाेगाें काे स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने काे चलाए हुए हैं मुहिम, तिरंगे का अपमान न हाे, सोने से पहले उसे हर राेज घर के अंदर ही फहराता फहराया जाता है
: जिंदल पार्क, मधुमन पार्क, विद्युत नगर में धरना देकर सैकड़ाें पेड़ाें काे कटने से बचाया
: हिसार में शहीदाें की प्रतिमाओं की अनदेखी हाेती देख वर्ष 2010 में उठाया था तिरंगा
हिसार। संवाददाता
सरकार ने हर घर तिरंगा अभियान चलाया हुआ है मगर हम आपकाे हिसार के एक ऐसे शख्स से मिलवाने जा रहे हैं, जिसकी तिरंगे के प्रति दीवानी आपने आज तक कहीं नहीं देखी हाेगी। जी हां, हम बात कर रहे हैं हिसार के रामपुरा माेहल्ले के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता राजेश हिंदुस्तानी की।पिछले 12 साल से राजेश हिंदुस्तानी तिरंगे काे हाथ में लेकर जहां लाेगाें में देशभक्ति की अलख जगा रहे हैं। वहीं, जलघर से लेकर पेड़ाें काे काटने वालाें के खिलाफ भी झंडा लेकर ही धरना देकर लाेगाें की मदद कर रहे हैं। हिसार व आसपास क्षेत्र के लोग राजेश की देशभक्ति से भली भांति वाकिफ है। खास बात यह है कि साेते समय ही राजेश तिरंगे काे अपने से अलग करते हैं, साेते समय तिरंगे काे घर के अंदर ही हर राेज फहराते हैं ताकि समेटकर रखने पर उसका अपमान नहीं हो। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर काॅलाेनी में ध्वजाराेहण किया जाता है।
शहीदाें की प्रतिमाओं की अनदेखी देखी ताे वर्ष 2010 में उठाया था तिरंगा, पंजाब, यूपी, राजस्थान भी तिरंगे काे साथ लेकर जाते हैं
मैं हिसार के रामपुरा माेहल्ले का रहने वाला हूं। पूर्व में कपड़े की दुकान कर परिवार का पालन पाेषण करता था। वर्ष 2011 में हिसार में शहीदाें की प्रतिमाओं की अनदेखी हाेती देखी। देखा कि शहीदाें की प्रतिमाओं पर फूल चढ़ाना ताे दूर उनकी सफाई करना तक लाेग मुनासिब नहीं समझते। विशेष आयोजनों पर ही देखरेख हो की जाती है। यही से मैंने शहीदाें की प्रतिमाओं पर फूल चढ़ाने से लेकर श्रद्धा सुमन अर्पित करने की मुहिम शुरू की। साथ ही , शहीदाें की कुर्बानी काे याद दिलाने के लिए झंड़ा उठा लिया। 24 घंटे तिरंगे काे पिछले 12 साल से साथ रखता हूं। लाेगाें काे भी बताया जाता है कि यह शहीदाें की धराेहर हैं, हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह तिरंगे का सम्मान करें। तिरंगे काे लेकर ही विभिन्न स्थानों पर होने वाले धरने प्रदर्शनों में भी भाग लेता हूं। अब अपनी मां गंगा देवी के साथ रह रहा हूं। पंजाब, यूपी, राजस्थान आदि स्थानाें पर जाने के दाैरान भी तिरंगे काे सीने से लगाकर रखता हूं। अब तक सैकड़ाें पेड़ाें काे भी कटने से बचाया जा चुका है। जब तक शरीर में जान रहेगी, तिरंगे काे शरीर से अलग नहीं करुंगा। मेरी अंतिम इच्छा भी यही रहेगी तिरंगा ही कफन के रुप में मुझे नसीब हाे।
जैसा कि राजेश हिंदुस्तानी ने बताया
इन आंदोलन में भाग ले चुके राजेश
: वर्ष 2011 में अन्ना और रामदेव के आंदोलन में भी भाग लिया था। साथ ही, नशा मुक्ति अभियान भी चलाया था।
: वर्ष 2016 में महाबीर कॉलोनी जलघर, राजीव नगर और अन्य स्थानाें काे जाने वाले जलघराें में नहर के गंदे पानी काे नहीं डाले जाने की मांग काे लेकर कई साल तक धरना दिया जिसका असर यह रहा कि नहर काे कवर्ड करा दिया गया। जिसके कारण गंदा पानी लाेगाें काे मिलने से कुछ हद तक राहत मिली।
: अब महाबीर काॅलाेनी जलघर की दीवार ऊंची कराने की मांग काे लेकर पिछले काफी समय से धरना चल रहा है।
: : वर्ष 2011 में जिंदल पार्क के पास धरना देकर 150 पेड़ाें काे कटने से बचाया।
: मधुबन पार्क और विद्युत नगर, सेक्टर 16-17 में 600 से अधिक पेड़ाें काे कटने से बचाया।
हर किसी काे तिरंगे के सिद्धांत काे अपनाना चाहिए
राजेश हिदुस्तानी का कहते हैं कि त्याग सेवा, एकता, शांति का प्रतीक तिरंगा हाेता है। हर िकसी काे तिरंगे के सिद्धांत काे अपनाना चाहिए। तिरंगे का सम्मान करना चाहिए। हर घर तिरंगा अभियान की भी सराहना की। कहा कि 12 साल से लोगों को तिरंगे की ही अहमियत समझा रहा हूं। आज लोग तिरंगे की अहमियत को समझ रहे हैं यह देखकर खुशी हो रही है, जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।
अन्य काे भी लेनी चाहिए सीख
सामाजिक कार्यकर्ता राकेश अग्रवाल, नीलेश सिंधू का कहना है कि राजेश हिन्दुस्तानी से अन्य लाेगाें काे भी सीख लेनी चाहिए। तिरंगे के प्रति ऐसी दीवानगी आज तक नहीं देखी।