मेरठ। संवाददाता
प्रसिद्ध चित्रकार और निर्देशक, क्रिएटिव आर्ट क्रिटिक काजी एम. रागिब ने कहा कि चित्रकला एक कला है, जिसे विभिन्न माध्यमों से व्यक्त किया जाता है। इसे आम आदमी भी महसूस करता है। जीवन में कला का बहुत प्रभाव है। एक कलाकार आम आदमी की भावनाओं को चित्रित करके बहुत अच्छा काम करता है। वह कभी अपनी कला के माध्यम से समाज की अच्छी और बुरी चीजों को पेश करके समाज का उपहास करता है, तो कभी उसे आगे बढ़ने का साहस देता है।
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी लखनऊ, अंतर्राष्ट्रीय महिला साहित्य संगठन (बीएएनएटी) और अंतर्राष्ट्रीय युवा उर्दू स्कॉलर्स एसोसिएशन (आईयूएसए) एवं सीसीएसयू के संयुक्त तत्वाधान में चल रहे चल रहे उर्दू साहित्यिक पत्रकारिता के तीसरे दिन आर्ट गैलरी का उद्घाटन किया गया। महोत्सव में हक्कानी अल कासिमी को पत्रकारिता सेवाओं के लिए सर सैयद राष्ट्रीय पुरस्कार 2022 से नवाजा गया। डॉ. फरहत खातून, रेहाना सुल्ताना एवं अशरफ अली बस्तवी की पुस्तकों का विमोचन किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत विभाग के प्रेमचंद सेमिनार हॉल में उर्दू सत्र के साथ हुई। अध्यक्षता काजी एम. रागिब, सरताज अहमद एडवोकेट, डॉ. हाशिम रजा जैदी और प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी ने की। संचालन एमजीएमपीजी कॉलेज संभल के नवेद खान ने किया। सत्र में अहमद सगीर बिहार, मूसी रजा लखनऊ, इरफान आरिफ, जम्मू और डॉ. अब्दुल हई दरभंगा ने अपने शोध प्रपत्र प्रस्तुत किए।
सुहेलदेव विश्वविद्यालय आजमगढ़ कुलपति प्रो. पीके शर्मा और प्रसिद्ध चित्रकार और निर्देशक क्रिएटिव आर्ट क्रिटिक काजी एम. रागिब ने विष विज्ञान विभाग में आर्ट गैलरी का उद्घाटन किया। जिसमें डॉ. आबिद जैदी और अन्य कलाकारों की तस्वीरें प्रदर्शित की गईं। आर्ट गैलरी के उद्घाटन के बाद फारसी भाषा का सत्र आरंभ हुआ। जिसकी अध्यक्षता प्रोफेसर सालेहा रशीद इलाहाबाद, डॉ. कमर आलम अलीगढ़, डॉ. मेहताब जहां दिल्ली ने संयुक्त रूप से की। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय उर्दू विभाग डॉ. अलका वशिष्ठ ने बताया कि सम्मलेन में असमा परवीन इलाहाबाद, जावेद इकबाल दिल्ली, नुसरत फातिमा अलीगढ़ और जोया शहजाद अलीगढ़ ने अपने शोध प्रपत्र प्रस्तुत किए।
चार सत्रों में 16 पत्र प्रस्तुत किए गए
सम्मेलन में तीसरे दिन फारसी और उर्दू के चार सत्रों में 16 पत्रों की प्रस्तुति की गई। शाम को अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि प्राप्त जादूगर मेराज अंसारी ने अपने जादू के हुनर का प्रदर्शन किया। जिसे मेहमानों और दर्शकों ने सराहा। इसके अलावा नवें सत्र के अध्यक्षीय मंडल में प्रोफेसर आराधना, डॉ. अलाउद्दीन खान, डॉ. अब्दुल हई दरभंगा, डॉ. ज़िया आलम जैदी, नोएडा रौनक अफरोज रहे। इसमें रेहाना सुल्ताना ने उर्दू साहित्य में रिसाला बानो की साहित्यिक सेवाएं और यूसुफ रामपुरी ने मदारीस की मैगज़ीन ए रिव्यू शीर्षक के तहत अपने पेपर प्रस्तुत किए। संचालन फराह नाज़ ने किया। अंतिम सत्र के अध्यक्षीय मंडल में प्रो. कहकशां लतीफ हैदराबाद, डॉ. निगार अजीम दिल्ली और डॉ. नसरीन बुलंदशहर रहे। संचालन सैय्यद मरियम इलाही ने ने किया। डॉ. नौशाद मंजर दिल्ली, डॉ. इशरत नाहिद लखनऊ, नियाज अख्तर जमशेदपुर ने अपने लेख प्रस्तुत किए।