मेरठ। संवाददाता
शनिवार को मेरठ कॉलेज के विधि विभाग में विश्व मानवाधिकार दिवस के मौके पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें वक्ताओं ने कहा कि कहा कि मानवाधिकारों की रक्षा के लिए सभी को जागरूक होकर आगे आने होगा। इसमें अहम भूमिका निभानी होगी।
संगोष्ठी की अध्यक्षता प्राचार्य प्रोफेसर एसएन शर्मा ने किया। स्वागत भाषण करते हुए डीन एवं विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अंजलि मित्तल ने कहा कि जब हम अधिकारों की बात करते है तब कर्तव्यों पर भी विशेष ध्यान देना होगा। हमें सबके लिए स्वतंत्रतता, न्याय और समानता सुनिश्चित करनी होगी। जब तक हम अपनी सोच में बदलाव नहीं लाते है, मानवाधिकार का सम्यक प्रवर्तन असंभव होगा। अपने घर से बदलाव की शुरूआत करनी चाहिए। हमें बच्चों, बुजुर्गों एवं महिलाओं के प्रति सहानुभूति रखनी होगी। एक स्वस्थ दृष्टिकोण अपनाना होगा। तभी हम चुनौतियों का सफलता से सामना कर सकते है।
छात्र प्रतिनिधि शेरा जाट ने कहा कि दस दिसंबर को मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1948 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाई गई मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा में निहित अधिकारों और स्वतंत्रता के प्रति सम्मान को बढ़ावा देने, जागरूकता पैदा करने और राजनीतिक इच्छाशक्ति जुटाने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। मानवाधिकार दिवस 2022 की थीम डिग्निटी, फ्रीडम और जस्टिस फॉर ऑल या गरिमा, स्वतंत्रता और सभी के लिए न्याय है। घोषणा पत्र और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का संविधान दोनों ही इस बात पर जोर देते हैं कि स्वास्थ्य सभी लोगों के लिए एक मौलिक मानव अधिकार है। कहा कि मानवाधिकारों की रक्षा के लिए सभी को जागरूक होकर आगे आने होगा। इसमें अहम भूमिका निभानी होगी।
छात्र प्रतिनिधि जोहित राणा ने कहा कि सभी के मानवाधिकारों के लिए हमें सतत सजग एवं सचेत रहना होगा। भारत में मानवाधिकारों की स्थिति अपने पड़ोसी देशों से काफी अच्छी है। पड़ोस के अनेक देशों में भुखमरी, बेरोजगारी, अत्याचार, धार्मिक भेदभाव आदि से लोग परेशान है। हमारा रिपोर्ट कार्ड बहुत अच्छा है। संचालन प्रोफेसर एमपी वर्मा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर प्रवीन दुबलिश ने किया।