मेरठ। संवाददाता
शब-ए-बरआत के मौके पर मंगलवार रात में इबादतों का दौर चला था। बुधवार को मुस्लिमों ने रोजा रखा और पल-पल इबादत में गुजारा। गुनाहों से तौबा। गुरुवार को हापुड़ रोड स्थित मदरसा जामिया मदनिया तथा लोहियानगर समेत कई स्थानों पर जलसे हुए। इसमें उलेमा ने तकरीर की और मुल्क मे अमनो अमान की दुआ कराई।
मुस्लिम समाज के लोगों ने मंगलवार को शब-ए-बरआत की रात इबादत में गुजारने के बाद बुधवार को रोजा रखा। इस मौके पर जलसों में शादी ब्याह में फिजूलखर्ची न करने की अपील की गई। वक्ताओं ने कहा कि दीनी और दुनियावी तालीम जरूरी है। इधर, जामिया मदनिया एवं ज़ुबैदा मस्जिद हापुड़ रोड में मदरसे के बच्चों के कुरान हाफ़िज़ होने पर एक जलसा आयोजित किया गया। जिसका संरक्षण जामिया के प्रधानाचार्य मौलाना कारी शफीकुर्रहमान कासमी ने किया और अध्यक्षता दारुल उलूम देवबंद के उस्ताद हज़रत मौलाना खिज़र कश्मीरी ने की। जलसा का आगाज प्रसिद्ध क़ारी मुहम्मद साजिद क़ासमी द्वारा तिलावत ए क़ुरान पाक से हुआ। शायर कारी हाशिम सगीर ने नज़्म पढ़ी।
मुख्य अतिथि शेखुल हदीस व प्रधानाचार्य मदरसा महमूदिया नौगज़ा अलीपुर के मौलाना अब्बास, दारुल उलूम देवबंद मौलाना शाह आलम गोरखपुरी, दारुल उलूम देवबंद मौलाना आरिफ जमील, मशहूर इस्लामी स्कॉलर एवं अध्यक्ष जमीयत उलेमा ए हिंद देहरादून मुफ्ती रईस और मौलाना वसी सुलेमान नदवी ने तकरीर की।
कारी शफीकुर्रहमान कासमी ने कहा कि क़ुरान बेहतरीन उसूलों वाली एक ख़ुदाई किताब है. जो मानवता और अमन व शांति का संदेश देती है। एक अच्छा समाज बनाने की रहनुमाई करती है। गरीबों के साथ हमदर्दी का हुकुम करती है। क़ुरान को पूरा बग़ैर देखे ज़बानी याद करने वाले को हाफिज कहते हैं। दुआ मौलाना अब्बास ने कराई। जलसे में मुख्य रूप से मौलाना अली रजा, मुफ्ती अखलाक नदवी, मौलाना कामरान, नाज़िम सैफी, मुफ्ती अकील, कारी नजाकत, डॉक्टर जर्रार रिजवी, कारी अफ्फान कासमी, काजी हस्सान कासमी रहे।