सावधान! रंग-गुलाल में भी मिलावट, चेहरे को बना सकता है बदसूरत, खुद भी आसानी से की जा सकती है असली ओर नकली रंगाें की पहचान, पैकेट खुला है ताे मिलावटी हाे सकता है रंग, चंद मिनटाें में घर में बनाए जा सकते हैं हर्बल रंग
एक्सप्रेस न्यूज 24x7 ने एक्सपर्ट से जाना किस तरह से करें असली और नकली रंगाें की पहचान
आज देशभर में हाेली का पर्व मनाया जाएगा। 8 मार्च काे फाॅग का पर्व है। बाजारों में होली की धूम देखने को मिल रही है। बाजारों में रंग-गुलाल, पिचकारियां खरीदी जा रही है। अलग-अलग क्वालिटी वाले और मिलावटी रंग भी बाजार में खूब उपलब्ध है। अगर आप भी होली के लिए रंग खरीदने जा रहे हैं तो इनमें होने वाली मिलावट का ध्यान रखिएगा। मिलावटी या नकली रंग आपकी त्वचा की रंगत को बिगाड़ सकता है। आप असली और नकली रंगों की पहचान आसानी से कर सकते हैं।
दरअसल, केमिकल युक्त रंगों के शरीर में प्रवेश करने से सेहत पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ता है। मुनाफा कमाने के चक्कर में बाजार में मिलावटी रंग उतार दिए गए। यह भले ही सस्ते मिल जाते है, लेकिन सेहत के लिए कहीं अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। यह रंग त्वचा के लिए भी काफी हानिकारक है। ज्यादा देर तक त्वचा पर लगे रहने से यह रंग एलर्जी तक कर सकते हैं या फिर कैंसर का कारण बन सकते हैं।
स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है केमिकल युक्त रंग : सिविल अस्पताल के डिप्टी सीएमओ डाॅ. सुभाष खतरेजा, डाॅ. अनामिका बिश्नाेई के अनुसार, होली पर खेलने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रंग सेहत के लिए काफी खतरनाक है। केमिकल युक्त रंग यदि आंखों में चला जाए। तो आंखों में जलन हो सकती है। इसके साथ ही कई बार आंखों की रोशनी भी कम हो सकती है। पेट में जाने पर रंग आंतों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। कानों में भी केमिकल वाले रंग जाने पर सुनने की क्षमता प्रभावित कर सकते हैं।
त्वचा, आंखों और फेफड़ों को पहुंचा सकता है नुकसान : घटिया किस्म के रंग व गुलाल के प्रयोग से त्वचा और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच सकता है। इससे त्वचा में चकता व चुनचुनाहट, आंखों में लालीपन व फेफड़े में सूजन हो सकता है। यह स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है।
जानिए... कैसे बनता है मिलावटी रंग
खाद्य एवं सुरक्षा अधिकारी डाॅ. भंवर सिंह के अनुसार,
वारनिस पेंट में और डिफरेंट टाइप्स कैमिकल रंगों में मिक्स किया जाता है। इसमें रेत, मिट्टी मिलाया जा रहा है। वहीं गुलाल में मैदा, सेलकड़ी मिलाया जा रहा है। रंग के गीले पाउच भी बाजार में बिक रहे है। पाउच में तेजाबी पानी और रंग का मिश्रण होता है। साथ ही गुलाल बनाने के लिए डीजल, इंजन ऑयल और कॉपर सल्फेट का इस्तेमाल करते है। सूखे गुलाल में एस्बेस्टस और सिलिका मिलाई जाती है। चमकीले गुलाल में एल्युमिनियम ब्रोमाइड भी मिलाया जाता है।
सीसा, एल्युमिनियम, कॉपर से बना रहे रंग
- हरे रंग को बनाने के लिए आमतौर पर कॉपर सल्फेट मिलाया जाता है। जो आंखों में जाने पर एलर्जी पैदा करते हैं।
- काले रंग बनाने के लिए मिलावटखोर लैड का प्रयोग करते हैं। जो गुर्दों को नुकसान देह है।
- लाल रंग बनाने के लिए मरक्यूरिक आक्साइड का इस्तेमाल किया जाता है। जो त्वचा कैंसर कर सकता है।
- सिल्वर रंग बनाने के लिए एल्युमिनियम ब्रोमाइड का प्रयोग होता है।
- बैंगनी रंग बनाने के लिए क्रमोमियम आयोडाइड का उपयोग होता है। जो स्किन को नुकसान पहुंचाते हैं।
- पीले रंग को बनाने में ओरमिन का प्रयोग होता है। जो स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसान देह है।
- इसके साथ ही रंगों को चमकीला बनाने के लिए उनमें सीसा मिलाया जाता है। जिसके त्वचा में लगते ही जलन होने लगती है।
घर में बनाए जा सकते हैं हर्बल रंग
डाॅ. भंवर सिंह के अनुसार,
बाजार में उपलब्ध रंगों के अलावा घर में भी हर्बल रंग बनाए जा सकते हैं। हर्बल रंग बनाने के लिए घर में उपलब्ध व कुछ अन्य चीजों की आवश्यकता पड़ती है। घर में ही लाल,हरा,पीला, नीला व आदि रंग बनाए जा सकते हैं।
- लाल रंग बनाने के लिए चंदन, सिंदूर व गुलहड से मिलाकर बनाया जा सकता है।
- लाल रंग बनाने के लिए चुकंदर को बारीक काटकर सूखा दें। इसके बाद इसे बारीक पीस लें। इसके बाद चावल के आटे या मैदा में मिला लें। इससे लाल रंग तैयार किया जा सकता है। इसके अलावा गुलाब की पत्तियों को सुखाकर इसमें चावल का आटा मिलाकर भी लाल रंग तैयार किया जा सकता है। सुंगध के लिए इसमें चंदन पाउडर मिला सकते हैं।
- केसरिया रंग बनाने के लिए टेसू के फूलों को सुखाकर उसे पीस ले। इसके बाद इसमें चावल का आटा मिलाया जा सकता है।
- घर पर ही पीला रंग तैयार करने के लिए हल्दी का इस्तेमाल किया जा का है। इसके साथ ही इसमें बेसन या चंदन पाउडर मिलाया जा सकता है।
- घर पर नीला रंग बनाने के लिए नीले गुड़हल फूल की पंखुड़िया व चावल के आटे का प्रयोग किया जा सकता है। गीले रंगों के लिए जकरंदा के मसलकर सूखे हुए फूलों को पानी में मिलाकर इस्तेमाल कर सकते हैं।
पैकेजिंग का रखें ध्यान
एक्सपर्ट डाॅ. भंवर सिंह बताते हैं कि
असली रंगों की पैकेजिंग भी आमतौर पर असली ही होती है जिसपर सभी इंस्ट्रक्शंस लिखे होते हैं। पैकेंजिंग देखें कि कहीं से कटी-फटी हुई ना हो या ऐसा ना लगे कि पैकेजिंग के साथ किसी तरह की छेड़खानी की गई है। छेड़खानी होने पर मिलावट की संभावना शत-प्रतिशत हो सकती है.
गंध से करें पहचान
कई बार हम इको-फ्रेंडली, नेचुरल या ऑर्गेनिक का लेबल लगा देखकर रंगों को खरीद लाते हैं, लेकिन वह असली नहीं होते हैं. ये हमारे लिए बेहद हानिकारक हो सकते हैं. रंग को खरीदते समय ध्यान दें कि कहीं किसी तरह के केमिकल या पेट्रोल की गंध तो नहीं आ रही है.
पानी में घोलकर चेक करें
रंग के असली या नकली की पहचान आप पानी के जरिए भी कर सकते हैं। इसके लिए थोड़ा सा रंग लेकर उसे पानी में घोल लीजिए. अगर रंग पानी में नहीं घुलता तो समझ जाइये कि उसमें केमिकल मिला है.
रंग में चमकदार कण तो नहीं
रंग खरीदते वक्त ध्यान रखे कि कहीं उसमें चमकदार कण तो नहीं दिख रहे हैं। अगर ऐसा है तो हो सकता है कि उसमें शीशे की मिलावट की गई है. दरअसल, नेचुरल रंगों में किसी तरह की कोई चमक नहीं होती है.