मेरठः सीनियर जर्नलिस्ट सलीम अहमद को सहयोग सामाजिक संस्था ने किया सम्मानित

 


मेरठ। संवाददाता

सहयोग सामाजिक संस्था द्वारा होली उत्सव पर सरदार पटेल इंटर कालेज में हास्य व्यंग से भरपूर  अखिल भारतीय महाज्ञानी सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें  शिक्षक डॉ यश कुमार ढाका को महाराजा महाज्ञानी -2023 और कवयित्री नीलम मिश्रा ' तरंग ' को महारानी महाज्ञानवती -2023 चुना गया साथ ही गाजियाबाद के ओज कवि वैभव शर्मा को महाज्ञानी का मंत्री और शास्त्रीय गायिका ऋतु अग्रवाल को महारानी महाज्ञानवती की दासी चुना गया।



कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्था संस्थापक अध्यक्ष दिनेश कुमार शांडिल्य एडवोकेट ने संस्था के उद्देश्यों की जानकारी देते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण और समाज के सभी वर्गों में पारस्परिक सद्भाव संस्था का मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि होली उल्लास और मस्ती का पर्व है। जीवन में उत्साह होना जरुरी है। कार्यक्रम का उद्देश्य स्वस्थ हास्य व्यंग द्वारा लोगों का तनाव दूर करना है। आज के भागमभाग और तनाव भरे जीवन में हास्य महाऔषधि है।



इस अवसर पर नवनिर्वाचित महाराजा महाज्ञानी डॉ यश कुमार ढाका ने समाज में बढ़ते ओल्ड एज होम पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि अशिक्षित व्यक्तियों की तुलना में शिक्षित व्यक्तियों से समाज को ज्यादा नुक्सान हो रहा है ।

आज ओल्ड एज में जो व्यक्ति हैं वो सभी शिक्षित हैं और उन्हें ओल्ड एज होम में भेजने वाले भी शिक्षित व्यक्ति ही है उन्होंने  इस पर रोष जताते हुए साहित्यकारो और कवियों से इस विषय पर लेखनी चलाने का आग्रह किया।

 वहीं  कार्यक्रम में निर्वाचित महारानी महाज्ञानवती नीलम मिश्रा ने  उपस्थित छात्रों को जीवन में नमस्कार का महत्व बताते हुए कहा कि नमस्ते भारत का अभिवादन तरीका है। जबकि विदेशों में हाथ मिलाकर अभिवादन करने की परंपरा है। नमस्ते संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है मैं तुम्हें ही नहीं तुम्हारे अंदर जो परमात्मा है उसको भी नमन करता हूं।  उन्होंने उपस्थित छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि नमस्ते में बड़ी शक्ति है जो जीवन में अच्छे अच्छे परिणाम दिलाने में सहायक होता है। नमस्ते से आयु,बल, बुद्धि और यश चारों चीजें बढ़ती है। उन्होंने कहा कि अपने प्रियतम दुष्यंत राजा की चिंता में डूबी शकुन्तला ने रास्ते में जाते हुए दुर्वासा ऋषि को नमस्ते नहीं किया। परिणाम स्वरूप दुर्वासा ऋषि ने शकुन्तला को श्राप दे दिया और शकुन्तला को भारी दुख उठाना पड़ा। अतः हमें अपने से बड़ों को नमस्कार करने की आदत बनाना होगा हाथ मिलाने की प्रथा खत्म करनी होगी।

इससे पूर्व स्कूल परिसर में स्थित सरदार पटेल की प्रतिमा पर माल्यार्पण और संस्था पदाधिकारियों द्वारा  स्कूल परिसर में नीम के तीन पौधे लगाकर कार्यक्रम की शुरुआत हुई और अतिथियों को सुंदर  पुष्प वाले पौधे भेंटकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया। 



इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्कूल प्रधानाचार्य डा नवीन कुमार तोमर ने छात्रों को वन की महत्ता बताते हुए कहा कि बिना वन के जीवन नहीं है। होललली पर वन काटने की परंपरा को रोका जाना चाहिए। वायु प्रदूषण से जो विषैली गैसें निकलती है पौधे उसे सोख कर उसके बदले प्राण वायु आक्सीजन हमें देते हैं। इसलिए हमें अधिक से अधिक पेड लगाने चाहिए।अतिथि रूप में राजस्थान से पधारे एजुकेशन डायरेक्टर डॉ राकेश कुमार शांडिल्य ने  होली पर लाखों लीटर पानी की बरबादी पर गहन चिंता व्यक्त करते हुए  छात्रों को हाथ में जल लेकर जल की बरबादी रोकने का संकल्प कराया। 

संरक्षक सत्य पाल दत्त शर्मा ने कहा कि होली उल्लास और मस्ती का पर्व है।  परंतु यह अपनी महत्ता खोता जा रहा है ।आज होली के रंग बदरंग हो गए हैं। उन्होंने कहा यह कि  प्यार मौहबबत और भाईचारे का त्योहार है। हमें जबरदस्ती किसी पर रंग नहीं डालना चाहिए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था संरक्षक डॉ प्रेम कुमार शर्मा ने करते हुए कहा कि प्रभु भक्त अपने को अज्ञानी और मूर्ख मानता है और ईश्वर को परम ज्ञानी मानकर प्रार्थना करता है कि मैं मूर्ख खल कामी कृपा करो भर्ता। सूरदास जी कहते हैं,-,मौसो सम कुटिल खल कामी। तुलसी दास जी भी अपने को मंदबुद्धि  मानकर चरित मानस की रचना लिखनी शुरू की। 

इसके बाद हंसी की पिचकारी हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें कवियों ने हास्य और ऋगांर की कविता सुनाकर श्रोताओं को हंसी के रंगों से सराबोर कर दिया।



जिसमें शास्त्रीय गायिका ऋतु अग्रवाल ने सूफी गज़ल सुनाते हुए कहा--

  कन्हैया छेड़ते मुझको सुरंगी आ गई होली,

  लगे पिचकारियाँ भरने मलंगी छा गई होली ।

कवयित्री रेखा गिरीश ने  होली पर अपने मनोभावों को इस प्रकार व्यक्त किया -

कोई दूजा रंग चढ़े ना, मुझ पर अब तो होली में।

कान्हा  ने जो रंग चढ़ाया, कौन  उतारे टोली  में ।

प्रेम रंग की  चूनर  ओढ़ूं, मैं  इठलाऊॅं  बागों में।

कभी आरसी में मुख देखूं, कभी छुपाऊं हाथों में।

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कवयित्री अरुणा पंवार ने अपनी पीडा को इस प्रकार व्यक्त किया-

हाथों में है मेरे खुशी का गुलाल

रंगूगी मैं सबको पीला और लाल

कैसे चढेगा तुमको होली का रंग

जब अपने मन में लिए हो मलाल

     

कवयित्री मुक्ता शर्मा ने हंसी की पिचकारी छोड़ते हुए श्रोताओं को होली के रंगों से सराबोर कर दिया।

-एक घर में चार भाई चारों की पहचान ग‌ई ,

नीला है ना‌ पीला है सभी का मुंह काला है।

एक बहू दूसरी से पूछती है ‌देख जिज्जी ,

तेरा ‌ घरवाला  है या‌ मेरा घरवाला ‌ है।।।  

     

नीलम मिश्रा "तरंग" ने  प्रेम का रंग बरसाते हुए कहा

मेरे शहर से रंग होली का तेरे नाम।

मेरे नगर से है ये तोहफा तेरे नाम ।

सुर्ख गुलाब की सारी खुशबू तेरे लिए 

खवाबों का हर इक दरीचा तेरे नाम ।


रचना सिंह वालिया की रचना 

-आती मनभावन जब होली ,

मन मस्त मगन हो जाता है।

 पिया के संग में होली खेलू,

मन खुश हो लहराता है ।

को श्रोताओं की भरपूर दाद मिली ।

डाक्टर यश कुमार ढाका ने काव्य पाठ करते हुए कहा,-

पुरुष के पोरूष से ही सिर्फ

नहीं बनेगा धरा यह स्वर्ग।

चाहिए नारी का नारीत्व

तभी पूरा होगा यह स्वर्ग।


सुधाकर आशावादी ने हास्य और व्यंग में अंतर बताते हुए कहा कि व्यंग  दिल पर सीधे तीर की तरह वार करता है जबकि हास्य स्वस्थ मनोरंजन करता है उन्होंने हास्य क्षणिकाएं सुनाकर खूब तालियां बटोरी। ऋंगार कवि अनुभव शर्मा ने ऋगारिक गीतों से समां बांधा।



गाजियाबाद से पधारे कवि वैभव शर्मा ने राष्टृ वीर सावरकर पर देश प्रेम की कविता सुनकर श्रोताओं के रोंगटे खड़े हो गए और तालियों की गड़गड़ाहट से सभागार गूंज उठा। कार्यक्रम में पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए हिंदुस्तान अख़बार के संवाददाता सलीम अहमद को सहयोग सम्मान,-2023 से सम्मानित किया गया।




कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ प्रेम कुमार शर्मा ने की तथा सफल संचालन संस्था अध्यक्ष दिनेश कुमार शांडिल्य एडवोकेट ने किया। कालेज के प्रधानाचार्य डाक्टर नवीन कुमार तोमर ने सभी को होली की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए आभार व्यक्त किया।

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