संसार में सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है :- आचार्य मनोरी

 


गीता का ज्ञान संपूर्ण विश्व के लिए कल्याणकारी :- अभिमन्यु गुप्ता 



नई दिल्ली । संवाददाता

विश्व गीता संस्थान के संस्थापक एवम् मार्गदर्शक आचार्य राधाकृष्ण मनोरी ने विश्व गीता संस्थान की केंद्रीय बैठक में उपस्थित प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि सेवाधर्म से दुनिया में सबसे बड़ा धर्म है इसके अन्य कोई धर्म नहीं है। हम सेवा के माध्यम से ही प्रत्येक व्यक्ति का हृदय परिवर्तित कर सकते हैं।



मनोरी ने कहा कि सेवा, प्रेम, करुणा तथा सद्भाव से ही आप समाज को सुपथ पर ले जा सकते हैं। श्रीमद्भगवद्गीता के 18 अध्याय में भगवान श्री कृष्ण ने केवल कर्म की ही चर्चा की है। कर्म करो सेवा करो तो आपको सब कुछ मिल जाएगा। श्री कृष्ण भगवान ने अर्जुन को यही दिव्य ज्ञान दिया की मेरी उपासना करते हुए जो भी कर्म करोगे वह अच्छा ही होगा। आज मनुष्य का नैतिक पतन हो रहा है समाज बट रहा है ऐसे समय में देश की रक्षा श्रीमद्भगवद्गीता के प्रचार प्रसार से संभव है विश्व गीता संस्थान ने निर्णय लिया है की हम घर-घर गीता पहुंचाएंगे। स्वाध्याय की प्रेरणा देंगे। 



इस अवसर पर गीता संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीलेश शर्मा जी ने सभी प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए कहा की हमको श्रीमद्भगवद्गीता के उद्देश्यों के अनुरूप अपना संस्थान चलाना है आपके समय और समर्पण से ही संस्थान का कार्य ठीक हो सकेगा। संस्थान के महासचिव अंतर्राष्ट्रीय कवित्री तुषा शर्मा ने गत 6 माह में संपन्न कार्यक्रमों का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। केंद्रीय उपाध्यक्ष डॉक्टर श्रेया द्विवेदी ने फिरोजाबाद में एक गुरुकुल की स्थापना का प्रस्ताव भी रखा। संस्थान के अखिल भारतीय सेवा प्रमुख अभिमन्यु गुप्ता ने कहां गीता का ज्ञान विश्व कल्याण के लिए है। संस्थान के सेवा कार्यों की भी चर्चा की उत्तर प्रदेश इकाई के सचिव पंकज गुप्ता ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। विजय दीप सिंह तोमर ने प्रतिमास आराधना पत्रिका के प्रकाशन का स्वरूप निश्चित किया। सर्वसम्मति से उनका यह प्रस्ताव स्वीकार किया गया। केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक में हरियाणा प्रांत के अध्यक्ष  डॉ अश्विनी वशिष्ठ जी, प्रांत प्रमुख अशोक, राष्ट्रीय सचिव चंद्रशेखर मयूर, गौरव वशिष्ठ, भारतेंदु जोशी, अतुल शर्मा आदि उपस्थित रहे।

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