मेरठ। संवाददाता
दीपावली के रंग आतिशबाजी के बिना अधूरे रहते हैं। तमाम बंदिशों और सख्ती के बावजूद चोरी-छिपे पटाखों की जमकर बिक्री हुई। शहर से लेकर गांवों तक लोग जहां-तहां से आतिशबाजी खरीद लगाए। हालांकि आतिशबाजी मनमानी कीमत पर बेची गई। फिर भी बच्चों और युवाओं ने सोमवार रात में दिवाली के मौके पर आतिशबाजी कर जमीन से लेकर आसमान तक खुशियों और उल्लास के रंग बिखेरे। दूसरी ओर, शहर के विभिन्न इलाकों में दिवाली का त्योहार उत्साह के साथ मनाया।
शहर में सदर कैंट स्थित बिल्डर जेपी अग्रवाल परिवार ने पूरे हर्षोल्लास के साथ दिवाली का त्योहार मनाया। सभी ने एक साथ आतशबाजी की। अमन अग्रवाल ने गरीब और निर्धनों को उपहार बांटे। बच्चों-परिवार के साथ खुशियां मनाई।
दूसरी ओर, शहर में दिवाली के मौके पर हर साल दस स्थानों पर पटाखा बाजार लगाता था। इन बाजारों में ही तीन दिनों में करोड़ों का कारोबार हो जाता था। जिलेभर में करीब 50 से अधिक आतिशबाज भी दिवाली के मौके पर करोड़ों का कारोबार करते थे। इसी के साथ ब्रांडेड पटाखा कंपनियों के करीब 20 करोड़ से अधिक पटाखे बिक जाते थे। प्रदूषण रोकने के लिए एनजीटी और सरकार के आदेशों के साथ ही शासन-प्रशासन की सख्ती थी। हालांकि ग्रीन पटाखों के लिए कोई मनाही नहीं थी, लेकिन फिर भी चोरी-छिपे पटाखों का खूब कारोबार हुआ।
घंटाघर इलाके में दुकानों पर दिवाली के मौके पर सोमवार को देर रात तक पटाखों आदि की खरीदारी हो रही थी। शहरभर के तमाम इलाकों में रात आठ बजे से आतिशबाजी का ऐसा दौर शुरू हुआ कि जमीन से लेकर आसमान तक पटाखों के रंग दिखे। आतिशबाजी के कारण ध्वनि और वायु प्रदूषण बढ़ गया। बच्चों और युवाओं का आतिशबाजी को लेकर जोश अलग ही नजर आ रहा था।
बच्चों के लिए थी खास वैरायटी : बच्चों के लिए बाजार में विभिन्न प्रकार के पटाखे थे, जो काफी सुरक्षित और अधिक रोशनी देने वाले रहे। साथ ही पॉपअप पटाखे, चकरी, अनार, हेलिकॉप्टर के अलावा फाइटर बम, वाटर बम, पोप पोप, और चिट-पिट बम जैसे पटाखे बच्चों ने खूब चलाए।