मेरठ। संवाददाता
भाई-बहन के प्यार का प्रतीक भैया दूज का पर्व गुरुवार को उत्साह के साथ मनाया गया। इस दौरान भाइयों के माथे टीको से सजे दिखाई दिए। दिन भर बहनों का अपने भाइयों के यहां टीका लगाने के लिए पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। माथे पर टीका लगाते हुए बहनों ने अपने भाइयों की सलामती दीर्घायु की दुआ मांगी। वहीं सुबह से ही दुकानों पर खरीदारी करने के लिए महिलाओं और युवतियों का तांता लगा रहा। मिठाइयों से लेकर आकर्षक तोहफों की खरीदारी की गई। बहन भाई के प्रेम को दर्शाता भैया दूज का त्योहार शहर के साथ-साथ जिलाभर में धूमधाम से मनाया गया।
कंकरखेड़ा में सूरजकुंड रोड स्पोर्ट्स गुड्स व्यापार संघ के अध्यक्ष अनुज सिंघल को उनकी बहनों ने मंगल तिलक किया। मिठाई खिलाकर मुंह मीठा कराया। दूसरी ओर, कंकरखेड़ा गोविंद पुरी आनंद परिवार ने भाई दूज का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया। अनमोल आनंद, नेहा आनंद, राहुल, अनिशा, आंचल, कबीर, अवीर पर्व की खुशियों में शामिल रहे।
उद्यमी अमन अग्रवाल सदर कैंट ने कहा कि भाई दूज का पर्व भाई-बहन के रिश्ते पर आधारित पर्व है, जिसे बड़ी श्रद्धा और परस्पर प्रेम के साथ मनाया जाता है। रक्षाबंधन के बाद, भाईदूज ऐसा दूसरा त्योहार है, जो भाई बहन के अगाध प्रेम को समर्पित है। भाई दूज का पर्व दीपावली के तीसरे दिन मनाया जाता है। इस दिन भाई को तिलक लगाकर प्रेमपूर्वक भोजन कराने से परस्पर तो प्रेम बढ़ता ही है, भाई की उम्र भी लंबी होती है।
मंदिरों में की पूजा: भाईबहन के अटूट प्रेम को सूत्र में पिरोते इस त्योहार को जितना उत्साह बहनों में दिखा उतने ही भाई भी उत्साहित दिखे। भाइयों ने भी अपनी बहनों को स्नेह स्वरूप उपहार दिए। बाजार में महिलाओं और युवतियों ने जमकर खरीदारी की। मंदिरों में इस मौके पर सुबह से ही पूजा-अर्चना के लिए तांता लगा रहा। धनतेरस, छोटी दीपावली, लक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा और भैया दूज के साथ ही दीपावली का पर्व हर्षोल्लास के साथ संपन्न हो गया।
क्या है भाईदूज की मान्यता : भाईदूज के रूप में मनाए जाने वाले त्योहार के लिए ऐसा माना जाता है कि दीपावली के बाद भाई दूज के दिन ही यमराज ने अपने बहन यमी के घर का रुख किया था, यमराज की बहन यमी ने उनके माथे पर तिलक लगाकर सलामती की दुआ मांगी थी। इस पर यमराज ने अपनी बहन को हमेशा इस दिन उसके पास आने का वचन दिया। मान्यता है कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन से माथे पर तिलक लगाता है उसकी लंबी आयु होती है। एक अन्य कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध करने के बाद अपनी बहन सुभद्रा के घर का रुख किया था। कृष्ण की बहन सुभद्रा ने दिए जलाकर भाई का स्वागत किया था और तिलक लगाकर लंबी उम्र की दुआ मांगी थी।