मेरठ : एनएएस कालेज के शताब्दी वर्ष में ताजा होगी पुरानी सुनहरी यादें, जुटेगी हस्तियां, शताब्दी वर्ष मनेगा

 




- चार नवंबर को धूमधाम से मनाया जाएगा एनएएस इंटर कालेज का शताब्दी वर्ष
- छात्र संसद होगी, कालेज के पुरातन छात्रों, शिक्षकों, प्रधानाचार्यों का होगा जमावड़ा


खास बातें

- नानकचंद एंग्लो-संस्कृत इंटर कॉलेज (एनएसएआईका) की स्थापना का श्रेय महामना पंडित नानकचंद ट्रस्ट को जाता है
- पंडित नानकचंद ट्रस्ट ने 1902 में संस्था का शुभारंभ किया, संस्था के हो चुके 121 साल
- 1923 में नानक चंद हाईस्कूल की मान्यता मिली, एनएएस कालेज का 100 साल की इतिहास गौरवशाली
- विद्यालय के मुख्य भवन का शिलान्यास 25 फरवरी 1909 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल सरजॉन प्रेसकॉट हैवेट ने किया था



मेरठ। संवाददाता

नानक चंद ऐग्लो संस्कृत (एनएएस) इंटर कालेज का शताब्दी वर्ष चार नवंबर को धूमधाम से मनाया जाएगा। इसमें कालेज का पुरातन छात्रों से लेकर शिक्षक, प्रधानाचार्य जुटेंगे। शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य मे पूरे साल कालेज में कार्यक्रमों के आयोजन का सिलसिला चलता रहेगा। शताब्दी वर्ष समारोह में बतौर मुख्य अतिथि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश पंकज मित्तल (राजस्थान एवं जम्मू कश्मीर के पूर्व न्यायधीश) एवं विशिष्ठ अतिथि न्यायधीश उच्च न्यायालय प्रयागराज नीरज तिवारी होंगे। इस मौके पर विद्यालय की सत्रीय पत्रिका सुगंधा का विमोचन भी किया जाएगा। रंगारंग एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।

इस बारे में बुधवार को एनएएस कालेज परिसर में आयोजित कार्यक्रम में प्रबंध समिति के सचिव अमित शर्मा, पूर्व विधायक एवं सदस्य राजेंद्र शर्मा, प्रधानाचार्या आभा शर्मा, दीपक शर्मा, पंकज शर्मा ने संयुक्त रूप से दी। उन्होंने बताया कि महानदानवीर, शिक्षा प्रेमी एवं समाजसेवी पंडित नानकचंद की इच्छानासुर संस्था की शुभारंभ 1902 में हुआ था। 121 साल पूर्व ट्रस्ट से सदस्यों ने नानक चंद स्कूल की नींव डाली थी। विद्यालय ने 1923 में हाईस्कूल की मान्यता प्राप्त कर मान्यता प्राप्त संस्था का रूप ले लिया था। इस तरह संस्था के 100 साल पूरे हो रहे। संस्था सचिव अमित शर्मा और पूर्व विधायक राजेंद्र शर्मा ने कहा कि इसकी जानकारी पिछले दिनों कालेज परिसर में स्थापित शिलालेख से हुई। इसके बाद ही कालेज का शताब्दी वर्ष मनाने का निर्णय लिया।



कार्यक्रम में शताब्दी वर्ष शिलापट का अनावरण होगा। खेलकूद प्रतियोगिता, एनसीसी कैडेट्स का मार्च पास्ट, गार्ड ऑफ ऑनर, स्काउट बच्चों की प्रस्तुति होगी। विद्यालय की पत्रिका सुंगधा का विमोचन होगा। छात्र संसद लगेगी। पुरातन छात्रों, शिक्षकों, प्रधानाचार्यों के जमावड़े में सुनहरी यादें ताजा होगी। विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले विद्यालय के छात्रों को सम्मानित किया जाएगा। इस वर्ष अंत में स्पोर्ट्स मीट कराएंगे।



100 साल का गौरवशाली इतिहास :  

नानकचंद एंग्लो-संस्कृत इंटर कॉलेज की स्थापना का श्रेय नानकचंद ट्रस्ट को जाता है। नानकचन्द ऐंग्लो संस्कृत स्कूल की कक्षाएं सबसे पहले धर्मरक्षिणी सभा हाउस बुढ़ाना गेट (वर्तमान श्रीसनातन धर्म कन्या इंटर कॉलेज) में एक जुलाई 1909 से प्रारम्भ हुईं थी। उत्तर प्रदेश गजेटियर के अनुसार विद्यालय 1909  में मिडिल स्कूल के रूप में शुरू हुआ, 1928 ई में हाईस्कूल तथा 1948 में इसने कॉलेज इंटरमीडिएट का स्तर प्राप्त किया।  कॉलेज के छात्रों ने नए-नए आयाम स्थापित कर प्रतिभा का लोहा मनवाया है। प्रशासन, राजनीति, खेल, सेना आदि विविध क्षेत्रों में यहां से शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों ने विद्यालय का गौरव बढ़ाया। हॉकी टीम में एनएएस कालेज का तबादला रहा। आज भी हॉकी खेल में एनएएस का उल्लेखनीय योगदान है। महिला हॉकी टीम के साथ ही अन्य खेलों में भी इंटर एवं डिग्री कालेज के खिलाड़ियों का दबदबा है।

पंडित नानक चंद के योगदान को भुलाया नहीं सकता : 

मेरठ समेत आसपास के क्षेत्र में शिक्षा और समाजसेवा में पंडित नानक चंद का योगदान अविस्मरणीय एवं अभूतपूर्व हैजब उन्होंने 22 साल की उम्र में (1884 में) अपनी प्रारंभिक युवावस्था में 20 गांवों की जमींदारी सहित अपनी पूरी संपत्ति गिरवी रखने के लिए अपनी वसीयत का मसौदा तैयार किया था। 103 भवनों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का स्वामित्व था। उनकी वसीयत ने 1885 में कानूनी रूप लिया। इस संपत्ति से प्राप्त आय का एक चौथाई हिस्सा शारीरिक रूप से विकलांग, निराश्रित और भटकते भिक्षुओं की देखभाल के लिए सामान्य दान के लिए इस्तेमाल किया। अन्य एक-चौथाई का उपयोग असहाय विधवाओं और उन लोगों को संरक्षण देने के लिए किया जाता था जो वित्तीय अभाव में पड़ गए हैं और चुपचाप पीड़ा सह रहे हैं। शेष आधा हिस्सा एक स्कूल चलाने के लिए था जहां सशक्त त्रयी, अंग्रेजी, संस्कृत और हिंदी (तब नागरी के नाम से जाना जाता था) की शिक्षा दी जानी थी।

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